502: SHIQURDU 45

 

 

  • Shiqurdu is a collection of thoughts. Although an odd-sounding name felt appropriate for the collection.

 

  • These are simplified quotes in Hurdu (Hurdu being a mix of Hindi and Urdu akin to Hinglish i.e., Hindi and English). Although in some cases the language has been simplified attempt has been made to retain the thought and the poetic flavor.

 

  • These thoughts have been picked up from various publications. Credit goes to all the original writers who penned down these deep-meaning messages.

 

 

 

सीखते रहे उम्रभर्, 

लहरों से लड़ने का हुनर

 

क्या पता था की, 

किनारे भी कातिल निकलेंगे

 

 

 

 

पुरानी यादें भूल गये,

क्या भूल गये, कुछ याद नहीं

 

कुच्छ यादें याद रही,

क्यों याद रही, कुछ याद नहीं

 

 

 

 

खामोश होना

जब किसी की बात बुरी लगे

 

खामोश रहना

 किसी को अपनी बात बुरी न लगे

 

 

 

गालो पर लुढ़कता पानी,

 

वो लफ्ज़ 

जिन्हें कागज नसीब नहीं हुआ

 

 

 

 

कद बढ़ा नहीं होता ,

ऐड़ियां उठाने से

 

ऊंचाईया तो मिलती हैं,

सर झुकाने से

 

 

 

 

बड़े अजीब दुनिया के मेले हैं

 

दिखती तो भीड़ है

 

पर चलते सब अकेले हैं

 

 

 

 

फ़क़ीर मिज़ाज़ हूँ,

अंदाज़ अपना औरों से जुदा रखता हूँ,

 

लोग जाते है मंदिर मस्जिद,

मै अपने दिल में खुदा रखता हूँ.

 

 

 

हिम्मत  कर , सब्र कर ,

बिखर  कर  भी  सवर  जाएगा

 

यकीन  कर , शुक्र  कर ,

वक़्त  ही  तोह  हैं  गुज़र  जाएगा

 

 

 

 

ज़रूरी और जरूरत

 

ज़रूरी नहीं की किसी को आपकी जरूरत हो

 

किसी की जरूरत बनना ज़रूरी है

 

 

 

मिट्टी से भी यारी रख

दिल से, दिलदारी रख

 

चोट न पहुंचे बातों से

इतनी समझदारी रख

 

 

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SHIQURDU 44: जिंदगी

 

  • Shiqurdu is a collection of thoughts. Although an odd-sounding name felt appropriate for the collection.

 

  • These are simplified quotes in Hurdu (Hurdu being a mix of Hindi and Urdu akin to Hinglish i.e., Hindi and English). Although in some cases the language has been simplified attempt has been made to retain the thought and the poetic flavor.

 

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तजुर्बा भी जरूरी है जिंदगी के लिए

दर्द में भी मुस्कुराने के हुनर के लिए

 

 

 

शब्दों के इत्तेफाक़ में

बदलाव करके देख

देख कर न मुस्कुरा

बिनवजह मुस्कुरा के देख

 

 

 

दुनिया भी अजीब है

दर्द आंखों से निकला तो कायर कहलाए

दर्द लफ्जों में निकला तो शायर कहलाए

 

 

 

जिन्दगी क्या है

चन्द लम्हों का सफर ही तो है

खुशिओं की दुआ करो

खुशियां क्या हैं

दुआओं का असर ही तो है

 

 

 

मिजाज जुदा सा था हमारा

बेहद लाजबाब थे हम

कुछ हमराह अनपढ़ निकले

वरना खुली किताब थे हम

 

 

 

नां निकालो जनाजे अरमानों के

नां  दफनाओ ख्वाहिशें अपनी

छोटी सी है, एक ही है

खुल के जिओ जिंदगी अपनी

 

 

 

तमीज, तहजीब और सलीका भी तो कुछ है

हर झुकता हुआ शख्स, मजबूर नहीं होता

 

 

 

कुछ पाने के लिए सब्र करना सीखो

मिल जाने पर कद्र  करना सीखो

 

 

 

बरसों बाद,आज भी कुछ यादें चली आती हैं

साथ अपने जज़्बातों की एक आँधी सी ले आती हैं

 

 

 

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SHIQURDU 42 : After a long time

 

 

  • Shiqurdu is a collection of thoughts. Although an odd-sounding name felt appropriate for the collection.

 

  • These are simplified quotes in Hurdu (Hurdu being a mix of Hindi and Urdu akin to Hinglish i.e., Hindi and English). Although in some cases the language has been simplified attempt has been made to retain the thought and the poetic flavor.

 

  • These thoughts have been picked up from various publications. Credit goes to all the original writers who penned down these deep-meaning messages.

 

 

 

वक़्त ने बहुत सिखाया

लेकिन

वक़्त पर नहीं सिखाया

 

 

 

कल खोया आज के लिये

आज खोया कल के लिये

छोड़ो कल आज और कल का खेल

जियो आज आज के लिये

 

 

 

क्यों क़तरा क़तरा फ़ना होते हो

क्यों ज़र्रा ज़र्रा बिखर जाते हो

इस ज़िन्दगी से मिलते मिलते

क्यों अपने आप से बिछड़ जाते हो

 

 

 

बस अपना ही गम देखा है। तूने कितना कम देखा है।

 

 

 

अब कहां दुआओं में वो बरक्कते, वो नसीहतें, वो हिदायतें अब तो बस जरूरतों का जुलूस हैं, मतलबों के सलाम हैं |

 

 

 

मजबूर को मजबूर की, मजबूरीयां, मजबूर कर देती है !!

 

 

 

जड़ें बाकि हैं अब भी उजड़ा नहीं हूँ, मैं लम्हा ही सही पर अभी गुज़रा नहीं हूँ।

 

 

 

किताबों सी फितरत है मेरी

अल्फ़ाज़ों से भरपूर, लफ्जों से खामोश

 

 

 

खुद के साये से ही अक्सर डर जाते हैं लोग,

होकर अनजान गुनाह भी कर जाते हैं लोग,

उम्र लग जाती है आदत है के सुधरती नहीं,

एक ठोकर से भी, कई सुधर जाते हैं लोगI

 

 

 

ना रूठा किसी से कीजिए,

ना झूठा वादा किसी से कीजिए,

ना फुरसत हो किसी को मिलने की,

तो ख़ुद से मुलाक़ात कीजिए

 

 

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